वांग यी: बड़े देश न तो लाभ-प्रेरित और न ही कमज़ोर देशों को धमका सकते हैं

वांग यी: बड़े देश न तो लाभ-प्रेरित और न ही कमज़ोर देशों को धमका सकते हैं

14वीं चीनी राष्ट्रीय जन प्रतिनिधि सभा के तीसरे पूर्णाधिवेशन में 7 मार्च को कूटनीतिक विषय पर प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की गई। सवालों के जवाब में चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने कहा कि बड़े देशों को अपने अंतरराष्ट्रीय दायित्वों को निभाना चाहिए और प्रमुख देशों के रूप में अपनी जिम्मेदारियां निभानी चाहिए। उन्हें लाभ-प्रेरित नहीं होना चाहिए, तथा कमज़ोर देशों को धमकाना नहीं चाहिए।

 

एक विदेशी मीडिया रिपोर्टर ने पूछा कि ट्रम्प ने व्हाइट हाउस में लौटने के बाद “अमेरिका फर्स्ट” नीति का सख्ती से पालन किया। पदभार ग्रहण करने के दो महीने से भी कम समय में, उन्होंने अमेरिका को कई महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय संगठनों और संस्थानों से अपना हाथ पीछे ले लिया, जबकि अमेरिका की अधिकांश विदेशी सहायता को रोक दिया और पारंपरिक सहयोगियों के साथ संबंधों को भी खराब कर दिया। क्या ये चीन को अंतर्राष्ट्रीय मामलों में अधिक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए रणनीतिक अवसर प्रदान करते हैं?

 

वांग यी ने कहा कि दुनिया में 190 से अधिक देश हैं। अगर हर देश अपनी राष्ट्रीय प्राथमिकता पर जोर देगा और ताकत की स्थिति पर विश्वास करेगा, तो दुनिया जंगल के कानून पर वापस लौट जाएगी, छोटे और कमजोर देशों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा और अंतरराष्ट्रीय नियम व व्यवस्था पर गंभीर असर पड़ेगा। इतिहास यह साबित करेगा कि केवल “सभी” को ध्यान में रखकर ही कोई सच्चा “विजेता” बन सकता है। मानव जाति साझा भविष्य वाले समुदाय की ओर बढ़ने के लिए मिलकर काम करने से ही यह विश्व सभी देशों के लिए एक विश्व बन जाएगा और भविष्य सभी के लिए एक भविष्य बन जाएगा।

 

चीन-अमेरिका संबंधों के बारे में सवालों के जवाब में वांग यी ने कहा कि आज दुनिया के सबसे बड़े विकासशील देश और विकसित देश के रूप में चीन और अमेरिका के बीच व्यापक साझा हित और सहयोग की व्यापक गुंजाइश है। हम साझेदार बन सकते हैं, आपसी सफलता प्राप्त कर सकते हैं और एक साथ समृद्ध हो सकते हैं।

 

वांग यी ने कहा कि कोई भी देश एक ओर चीन को दबाने और नियंत्रित करने तथा दूसरी ओर चीन के साथ अच्छे संबंध विकसित करने की कल्पना नहीं कर सकता। यह दो मुंह वाले इंसान की कार्रवाई न केवल द्विपक्षीय संबंधों की स्थिरता के लिए अनुकूल नहीं है, बल्कि आपसी विश्वास का निर्माण करने में भी विफल है। चीन-अमेरिका आर्थिक और व्यापारिक संबंध पारस्परिक और समान हैं। यदि वे सहयोग करना चुनते हैं, तो पारस्परिक लाभ और जीत-जीत परिणाम प्राप्त होंगे। यदि वे दबाव डालना जारी रखते हैं, तो चीन दृढ़ता से जवाबी हमला करेगा।

 

(CRI)

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