हमें आधुनिकीकरण का ऐतिहासिक अवसर नहीं चूकना चाहिये

हमें आधुनिकीकरण का ऐतिहासिक अवसर नहीं चूकना चाहिये

प्राचीन काल में चीन और भारत दोनों का उत्पाद मूल्य एक बार दुनिया की एक तिहाई या एक चौथाई तक जा पहुंचा था। लेकिन, उपनिवेशवाद और साम्राज्यवाद के आक्रमण ने हमें एहसास दिलाया कि धन और संपत्ति की मात्रा ही सब कुछ नहीं है। पश्चिमियों के उन्नत हथियारों के सामने पिछड़े देशों की संपत्ति सिर्फ़ आक्रमणकारियों की लूट बन सकती है। इसलिए स्वतंत्रता और मुक्ति प्राप्त करने के बाद चीन और भारत सहित कई विकासशील देशों ने आधुनिकीकरण को अपने आर्थिक विकास का केंद्र बनाया। हमें सही समय पर ऐतिहासिक अवसर का लाभ उठाना चाहिए और पारंपरिक सामाजिक स्वरूप से आधुनिक समाज में परिवर्तन पूरा करना चाहिए।

औद्योगीकरण आधुनिकीकरण की मुख्य प्रेरक शक्ति है, और पारंपरिक कृषि समाज से औद्योगिक समाज में परिवर्तन अनिवार्य रूप से राजनीति, अर्थव्यवस्था, विचारधारा और संस्कृति के संदर्भ में गहरा परिवर्तन लाएगा। आधुनिकीकरण की प्रक्रिया पश्चिमी देशों में हो सकती है, जबकि विकासशील देशों में भी संपन्न की जा सकती है। आधुनिकीकरण की प्रक्रिया ब्रिटेन और पश्चिमी यूरोप में शुरू हुई थी और फिर विश्व के अन्य भागों में फैल गयी। आधुनिकीकरण की ओर मानवता की हर लहर औद्योगिक और तकनीकी क्रांतियों द्वारा प्रेरित रही है। पहली औद्योगिक क्रांति 18वीं सदी में ब्रिटेन में शुरू हुई थी। पूंजीवादी उद्योग की उत्पादकता में उल्लेखनीय वृद्धि हुई, और उद्योग और कृषि में मशीनों, बिजली और रासायनिक तरीकों के इस्तेमाल से जहाज, रेलवे और टेलीग्राफ जैसे आधुनिक सामाजिक उपकरणों का उदय हुआ, जिन्होंने उस समय सभी देशों की आधुनिकीकरण दिशा का प्रतिनिधित्व किया।

1860 और 1870 के दशक में, पश्चिमी देशों में दूसरी औद्योगिक क्रांति शुरू हुई। विद्युत उपकरण, आंतरिक दहन इंजन और रासायनिक उद्योग आदि की प्रौद्योगिकियों में बड़ी सफलताएं मिली। विद्युत क्रांति से उत्पन्न आर्थिक विकास दर भाप इंजन युग से कहीं अधिक थी। आधुनिकीकरण के माध्यम से, संयुक्त राज्य अमेरिका ब्रिटेन को पीछे छोड़कर सबसे विकसित देश बन गया, और साथ ही गैर-पश्चिमी दुनिया में आधुनिकीकरण की प्रक्रिया भी शुरू हो गयी। हालाँकि इसके बाद दुनिया को तीसरी औद्योगिक क्रांति से मिलना पड़ा। आधुनिकीकरण की इस लहर का भौतिक एवं तकनीकी आधार पेट्रोलियम ऊर्जा, सिंथेटिक सामग्री और माइक्रोइलेक्ट्रॉनिक्स प्रौद्योगिकी है। इस प्रक्रिया में विकसित देशों के औद्योगिक उन्नयन से औद्योगीकरण की लहर पूरे विश्व में फैल गई, और विकासशील देशों ने आधुनिकीकरण प्रक्रिया को बढ़ावा देने के लिए नई तकनीकी क्रांति के अवसरों का लाभ उठाया। जापान, दक्षिण कोरिया और सिंगापुर ने आधुनिकीकरण हासिल कर लिया।

अब हम जो अनुभव कर रहे हैं वह चौथी औद्योगिक क्रांति है, जो सूचना प्रौद्योगिकी और डिजिटल प्रौद्योगिकी द्वारा प्रस्तुत एक नई तकनीकी क्रांति है। यदि हम वैज्ञानिक और तकनीकी विकास का मौका पकड़कर चलें,हम अपने राष्ट्रीय कायाकल्प के महान लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं। अन्यथा, हम उन्नत देशों के साथ तालमेल बिठाने का अवसर पूरी तरह से खो देंगे। मिसाल है कि पिछली सदी में लैटिन अमेरिका के देशों ने सम्पूर्ण औद्योगिक व्यवस्था का निर्माण कर लिया था, लेकिन 20वीं सदी के उत्तरार्ध में लैटिन अमेरिकी देश एक के बाद एक ऋण संकट और मुद्रास्फीति के दलदल में फंस गए। चीन और भारत, जो अपने आधुनिकीकरण लक्ष्यों को प्राप्त करने का प्रयास कर रहे हैं, को दूसरे देशों के सबकों से सीखने का व्यावहारिक महत्व होता है। CRI

facebook
Twitter
Follow
Pinterest

Comments

No comments yet. Why don’t you start the discussion?

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *