पारस्परिक सफलता में भागीदार बनना चीन और भारत के लोगों के मूल हित में है

पारस्परिक सफलता में भागीदार बनना चीन और भारत के लोगों के मूल हित में है

हाल ही में, भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लेक्स फ्रीडमैन पॉडकास्ट में अतिथि के रूप में शामिल होते हुए चीन-भारत संबंधों पर बात की और सकारात्मक बयान दिया।

 

मोदी ने कहा कि भारत और चीन का इतिहास बहुत पुराना है और गहरे सांस्कृतिक संबंध दोनों देशों के बीच संबंधों को मजबूत बनाए रखते हैं। “यदि आप सदियों से भारत-चीन संबंधों पर नजर डालें तो पाएंगे कि दोनों देशों के बीच कोई वास्तविक संघर्ष नहीं हुआ है, तथा दोनों पक्ष हमेशा एक-दूसरे से सीखते और समझते रहे हैं।” मोदी ने कहा कि केवल बातचीत के माध्यम से ही स्थिर और सहयोगात्मक संबंध स्थापित किए जा सकते हैं, जो दोनों देशों के सर्वोत्तम हित में है। मोदी के बयान ने चीनी और भारतीय जनता का ध्यान आकर्षित किया है।

 

चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता ने 17 मार्च को इसकी प्रशंसा की और कहा कि “पारस्परिक उपलब्धि के भागीदार बनना और ‘ड्रैगन और हाथी नृत्य’ को साकार करना चीन और भारत के लिए एकमात्र सही विकल्प है।”

 

भारतीय जनमत चीन के प्रति मोदी के सकारात्मक रवैये और चीन की प्रतिक्रिया पर करीबी नजर रखता है। हिंदुस्तान टाइम्स ने मोदी के इस बयान पर ध्यान दिया कि “विवाद की जगह वार्ता लेती है” और साथ ही चीन के इस बयान पर भी रिपोर्ट दी कि “ड्रैगन और हाथी साथ-साथ नृत्य करते हैं”। इंडियन एक्सप्रेस ने विशेषज्ञों के हवाले से कहा है कि चीन और भारत के बीच बातचीत की बहाली से दोनों पक्षों को गलतफहमी से बचने और प्रतिस्पर्धा और सहयोग में टकराव कम करने में मदद मिलेगी।

 

हम देख सकते हैं कि दोनों देशों के बीच हाल के उच्चस्तरीय बयानों से संकेत मिलता है कि द्विपक्षीय संबंधों में लगातार सुधार हो रहा है। हाल के वर्षों में, दोनों देशों के बीच व्यापार और वाणिज्यिक संबंध निरंतर विकसित हो रहे हैं तथा आर्थिक आदान-प्रदान की गति मजबूत बनी हुई है।

 

2024 में चीन-भारत व्यापार की मात्रा 1 खरब 50 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक हो गई। चीन लगातार आठ वर्षों से भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार रहा है। चीन को भारत का निर्यात 37 प्रतिशत बढ़ा है। यह कहा जा सकता है कि चीन के उच्च गुणवत्ता वाले विकास और उच्च स्तरीय खुलेपन ने भारत को एक व्यापक बाजार, एक स्थिर आपूर्ति श्रृंखला और गहन आर्थिक और व्यापार सहयोग के अवसर प्रदान किए हैं।

 

साथ ही, जटिल राजनीतिक संबंधों के बावजूद, चीन-भारत के लोगों के बीच संस्कृति, खेल, अर्थव्यवस्था और व्यापार के क्षेत्रों में आदान-प्रदान सक्रिय बना हुआ है। यह एक महत्वपूर्ण कड़ी बन गई है जो दोनों देशों के बीच संबंधों को निरंतर आगे बढ़ाने में सहायक है।

 

2023 में, भारतीय फिल्में “पठान” और “टाइगर 3” चीन के कई शहरों में रिलीज़ हुईं, जिससे बड़ी संख्या में दर्शक आकर्षित हुए और चीन में बॉलीवुड फिल्मों की लोकप्रियता जारी रही। 2023 में, भारत स्थित चीनी दूतावास ने दिल्ली में “चीनी संस्कृति महोत्सव” आयोजित किया, जिसमें पारंपरिक चीनी नृत्य, सुलेख, चाय कला आदि का प्रदर्शन किया गया और इसमें बड़ी संख्या में भारतीय लोगों ने हिस्सा लिया।

 

2024 की शुरुआत में, भारत में दिल्ली विश्वविद्यालय और चीन में पेइचिंग विश्वविद्यालय दोनों देशों के बीच ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और दार्शनिक आदान-प्रदान का पता लगाने के लिए “चीनी और भारतीय सभ्यताओं के बीच संवाद” पर एक ऑनलाइन संगोष्ठी आयोजित की। भारतीय ट्रैवल एजेंसियों ने भारतीय पर्यटकों को शीआन और तुनहुआंग जैसे प्रसिद्ध चीनी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक शहरों की यात्रा के लिए आकर्षित करने हेतु “सिल्क रोड कल्चरल टूर” शुरू किया है। 2024 में, चीन और भारत में भाषा सीखने के मंच ने संयुक्त रूप से “हिंदी-चीनी पारस्परिक शिक्षण कार्यक्रम” शुरू किया ताकि दोनों देशों के लोगों को एक-दूसरे की भाषा सीखने में मदद मिल सके।

 

चीन और भारत के बीच आदान-प्रदान के 2,000 से अधिक वर्षों के इतिहास में, मैत्रीपूर्ण आदान-प्रदान और आपसी सीख मुख्यधारा रहे हैं, जिसने विश्व सभ्यता और मानव प्रगति में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। दो सबसे बड़े विकासशील देशों के रूप में, दोनों पक्षों का वर्तमान सामान्य कार्य अपने-अपने देशों के विकास और पुनरुद्धार को प्राप्त करने के लिए कड़ी मेहनत करना है। इससे दोनों देश आपसी समझ, समर्थन और पारस्परिक सफलता प्राप्त कर सकते हैं। यह चीन और भारत के 2 अरब 80 करोड़ से अधिक लोगों के मूल हित के अनुरूप है। CRI

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