9 अप्रैल को चीनी रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता चांग श्याओकांग ने एक प्रेस वार्ता में चीन और भारत के सैन्य संबंधों की चर्चा में बताया कि इस साल चीन और भारत के बीच कूटनीतिक संबंधों की 75वीं सालगिरह है। दोनों देशों के नेताओं ने संदेशों के जरिए रिश्तों को बेहतर बनाने की दिशा तय की है। चीन और भारत, दोनों प्राचीन सभ्यताएं और तेजी से उभरते देश हैं, जो “वैश्विक दक्षिण” का अहम हिस्सा हैं। दोनों देश इस समय अपने आधुनिकीकरण के महत्वपूर्ण चरण में हैं। इसलिए, यह दोनों देशों और उनके लोगों के हित में है कि “ड्रैगन और हाथी” मिलकर आगे बढ़ें और एक-दूसरे की सफलता में योगदान दें।
चांग श्याओकांग ने आगे कहा कि चीनी सेना भारतीय सेना के साथ मिलकर काम करने को तैयार है। उनका मकसद दोनों देशों के नेताओं की सहमति को लागू करना, आपसी संचार और तालमेल को बढ़ाना, एक-दूसरे पर रणनीतिक भरोसा मजबूत करना और चीन-भारत सीमा पर शांति बनाए रखना है। वे दोनों सेनाओं के बीच स्वस्थ और स्थिर रिश्तों को बढ़ावा देना चाहते हैं, ताकि क्षेत्रीय और वैश्विक शांति के लिए सकारात्मक योगदान दिया जा सके।
प्रेस वार्ता में थाईवान संबंधी सवाल के जवाब में चांग ने साफ कहा कि थाइवान का मुद्दा पूरी तरह से चीन का अंदरूनी मामला है और इसमें किसी भी बाहरी हस्तक्षेप को स्वीकार नहीं किया जा सकता। उन्होंने जोर देकर कहा कि पीपुल्स लिबरेशन आर्मी अपने प्रशिक्षण और युद्ध की तैयारी को कभी नहीं रोकेगी। साथ ही, “थाईवान स्वतंत्रता” की साजिशों और विदेशी दखल को कुचलने के लिए हमेशा तैयार रहेगी, ताकि एकीकरण की दिशा में मजबूती से आगे बढ़ा जा सके। CRI