टैरिफ वार के बीच कारोबारी उम्मीद जगा सकता है कैंटन फेयर

टैरिफ वार के बीच कारोबारी उम्मीद जगा सकता है कैंटन फेयर

उमेश चतुर्वेदी

न्यूयॉर्क टाइम्स के जाने-माने स्तंभकार हैं थॉमस एल फ्रीडमैन..वैश्विक रूप से मशहूर और बेस्ट सेलर पुस्तक ‘वर्ल्ड इज फ्लैट’में उन्होंने वैश्विक ग्राम बनती दुनिया में कारोबार के जरिए आ रहे सांस्कृतिक बदलावों का जिक्र किया है। हिंदी में भी यह पुस्तक ‘दुनिया गोल नहीं’नाम से इसका अनुवाद हो चुका है। इन्हीं फ्रीडमैन ने हाल ही में अमेरिका की ओर से जारी टैरिफ युद्ध को लेकर अहम टिप्पणी की है। उन्होंने इस बात पर दुख जताया है कि टैरिफ वार ने अमेरिका को “एक ऐसी लड़ाई में झोंक दिया है, जिसे जीतना संभव नहीं।” पंद्रह अप्रैल से चीन में शुरू हुए कैंटन फेयर में जिस तरह की वैश्विक भागीदारी दिख रही है, उससे फ्रीडमैन की यह बात ही सही साबित हो रही है।

 

कैंटन फेयर में इस बार करीब 31,000 कंपनियां हिस्सा ले रही हैं। इस बार का यह मेला करीब 15.5 करोड़ वर्ग मीटर में फैला हुआ है। इसमें 74 हजार से ज्यादा बूथ बनाए गए हैं। जिनमें निर्यात के लिए लगभग 73 हजार और आयात के लिए करीब 1,600 बूथ हैं। तीन चरणों के इस मेले में पहले चरण में उन्नत विनिर्माण, दूसरे में गुणवत्तापूर्ण घरेलू साज-सज्जा और तीसरे चरण में बेहतर जीवन स्तर को बढ़ावा देने वाले उत्पादों पर केंद्रित किया गया। जिसमें 172 उत्पाद क्षेत्र शामिल हुए हैं। पिछली बार की तुलना में नौ सौ से ज्यादा भागीदारों की हिस्सेदारी से साफ है कि चीन टैरिफ वार के दौर में भी अपने तरीके से खड़ा है।

 

मेले के समापन के बाद पता चलेगा कि इस बार कितना कारोबार हुआ। लेकिन जिस तरह इस बार में मेले में दस लाख से अधिक उत्पाद प्रदर्शित किए जा रहे हैं, उससे साफ है कि चीन टैरिफ वार के बीच भी अपने उत्पादों के साथ ना सिर्फ खड़ा है, बल्कि वैश्विक स्तर पर कम से कम अपने साथ खड़े देशों में उसकी स्वीकार्यता बची और बनी हुई है। इन आंकड़ों के लिहाज से कह सकते हैं कि कैंटन फेयर में अमेरिकी रणनीति के सामने, चीन न सिर्फ खड़ा है, बल्कि संकट का मजबूती से सामना करता हुआ दिख भी रहा है। इससे यह भी लगता है कि टैरिफ वार में चीन पीछे नहीं हटने जा रहा है। चीन जिस तरह अमेरिका के सामने खड़ा है, उसकी स्वीकार्यता कैंटन फेयर में भी दिख सकती है। जब वैश्विक स्तर पर उसके उत्पादों का निर्यात दिखेगा। कैंटन फेयर के बेहतर आयोजन और उसमें वैश्विक भागीदारी दुनिया के सामने एक ऐसे चीन की तसवीर पेश कर सकता है, जो दबाव का सामना करते हुए मजबूत और स्थिर रह सकता है।

 

इस बीच चीन ने “चीन-अमेरिका आर्थिक और व्यापारिक संबंध के संदर्भ में चीन की स्थिति” पर श्वेत पत्र जारी किया है। जिसमें चीन ने संयमित रूख दिखाते हुए कहा है कि वैश्विक हित में चीन और अमेरिका के बीच और्थिक और कारोबारी रिश्ते जरूरी हैं। कैंटन फेयर में चीन के श्वेत पत्र का भी असर दिख सकता है। हाल ही में चीन ने विदेशी पर्यटकों की खरीदारी और उनके प्रस्थान कर रिफंड के लिए “खरीदारी पर वापसी नीति” लागू किया है। इसका भी असर 137वें चीन आयात और निर्यात मेले यानी कैंटन फेयर पर भी दिख सकता है।

 

कैंटन फेयर में चीन की उस नीति का भी प्रदर्शन हो रहा है, जिसके तहत वह घरेलू स्तर पर, यह उच्च गुणवत्ता वाले विकास को बढ़ावा देने के साथ ही तकनीकी नवाचार को अहमियत दे रहा है।

 

हाल ही में, यूरोपीय संघ और आसियान ने बहुपक्षवाद और वैश्विक व्यापार के स्वस्थ, स्थिर विकास का संयुक्त रूप से समर्थन करने के लिए चीन के साथ काम करने की इच्छा व्यक्त की है। न्यूयॉर्क टाइम्स का आकलन है कि अमेरिकी व्यापार शुल्कों की मार के चलते जारी वैश्विक व्यापार में उथल-पुथल के बीच वैश्विक कंपनियों के लिए चीन को “अधिक आकर्षक विकल्प” बना दिया है। कैंटन फेयर में यह प्रवृत्ति भी दिखने के आसार है।

 

कई लोगों ने चीन में रहने का फैसला किया है, जो चीन पर अधिकतम दबाव डालने और “अमेरिका में निवेश” करने के अमेरिका के मूल इरादे के बिल्कुल विपरीत है। डॉयचे वेले ने विशेषज्ञों का हवाला देते हुए कहा कि व्यापार युद्ध में चीन के अधिक लचीला पक्ष होने की संभावना है। जर्मन विशेषज्ञों का आकलन है कि आने वाले दिनों में चीन में अमेरिका की तुलना निवेश का बड़ा केंद्र हो सकता है। कैंटन फेयर में इन सब चीजों का असर दिखे तो वैश्विक कारोबारी जानकारों को हैरत नहीं होनी चाहिए।

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