देवेंद्र सिंह
अमेरिका ने हाल ही में चीन समेत कई देशों पर आयात शुल्क (टैरिफ) में भारी बढ़ोतरी की घोषणा की है, जिससे वैश्विक व्यापार और अर्थव्यवस्था के भविष्य को लेकर चिंताएं बढ़ गई हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति के इस कदम का उद्देश्य “अमेरिकी उद्योगों को सुरक्षा देना” बताया गया है, लेकिन इसके व्यापक आर्थिक प्रभाव हो सकते हैं। अमेरिका ने चीन से आयात होने वाली वस्तुओं जैसे इलेक्ट्रिक वाहन (EV), स्टील, अल्युमीनियम, सेमीकंडक्टर और सोलर पैनल्स पर टैरिफ में भारी वृद्धि की है। आर्थिक विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला (सप्लाई चेन) को प्रभावित कर सकता है और मुद्रास्फीति (इन्फ्लेशन) को बढ़ावा दे सकता है। चीन ने इस फैसले की कड़ी निंदा करते हुए कहा है कि यह “व्यापार युद्ध को भड़काने वाला कदम” है। यूरोपीय संघ और अन्य एशियाई देश भी इससे प्रभावित हो सकते हैं, क्योंकि अमेरिकी बाजार में उनके निर्यात की प्रतिस्पर्धा बढ़ सकती है।
इसी मुद्दे पर चाइना मीडिया ग्रुप से बात करते हुए ICRIER (इंडियन काउंसिल फॉर रिसर्च ऑन इंटरनेशनल इकोनॉमिक रिलेशन्स) में प्रोफेसर और थिंक टैंक डॉक्टर अर्पिता मुखर्जी कहती हैं कि “अमरीका द्वारा लगाए गए रेसीप्रोकल टैरिफ अभी 90 दिनों तक तक टाल दिए गए हैं मगर वह ट्रेड इम्बैलेंस को ध्यान में रखते हुए इसे अभी लागू नहीं कर रहे, दूसरी ओर जिनके साथ अमरीका के ट्रेड एग्रीमेंट हैं उन देशों पर भी उसने टैरिफ बढ़ा दिया है। बात साफ़ है अमरीका चाहता है जो देश नेगोशिएट करना चाहते हैं वह आए और बात करें, मगर फिर भी ट्रेड इम्बैलेंस तो रहेगा ही क्यूंकि अमरीका रातों रात तो कोई चीज़ बना नहीं लेगा, इससे ट्रेड इम्बैलेंस तो उतना ही रहेगा”
अमरीका और चीन पर बात करते हुए डॉक्टर मुखर्जी आगे कहतीं हैं कि “ अगर हम बात करें अमरीका और चीन की तो दोनों सुपर पावर्स हैं दोनों देश अपने आप में महत्वपूर्ण हैं अब दोनों देशों ने जो अनाउंसमेंट की उससे पता चलता है कि चीन ने पहले ऐसा नहीं किया की उसने इन सब की शुरुआत की लेकिन चीन आगे क्या करेगा यह अभी कहना मुश्किल है। अगर आप चीन की बात करें तो जब अमरीका और चीन ने एक-दूसरे पर जो प्रतिबंध लगाए तब दोनों देशों की ग्रोथ पर असर पड़ा, इसलिए मेरा मानना है जितना हो सके उतना फ्री ट्रेड करना चाहिए जिससे सभी का फ़ायदा हो सके।“
आम जनता पर इसका सीधा प्रभाव कैसे पड़ेगा ? इस सवाल का जवाब देते हुए डॉक्टर अर्पिता कहती हैं कि “ जब आप टैरिफ लगाते हो तो इसका असर सीधा उपभोक्ता पर पड़ता है चूँकि इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ने से चीज़ों के दाम बढ़ जाते हैं और इसका सीधा असर आम उपभोक्ता पर पड़ता है इसके असर से अमरीका की जनता भी अछूती नहीं रहेगी उन पर भी इसी असर पड़ेगा हालाँकि, अमरीका एक बड़ा देश है उसकी मार्केट बड़ी है जिससे उस पर असर कुछ कम होगा”
इस मुद्दे ने सोशल मीडिया पर भी तीखी बहस छेड़ दी है। चीनी माइक्रोब्लॉगिंग साइट वीबो (Weibo) पर कई यूजर्स ने अमेरिका के इस कदम को “आर्थिक धौंसपट्टी” बताया। एक यूजर ने लिखा, “अमेरिका डर गया है कि चीन की तकनीक उससे आगे निकल जाएगी, इसलिए ऐसे हथकंडे अपना रहा है।”
वहीं, भारतीय सोशल मीडिया पर कई लोगों ने चिंता जताई कि इससे वैश्विक बाजार अस्थिर हो सकता है। ट्विटर पर एक यूजर ने लिखा, “अमेरिका और चीन के बीच टैरिफ युद्ध भारत जैसे विकासशील देशों के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकता है।” कुछ ने भारत सरकार से अपने घरेलू उद्योगों को मजबूत करने की अपील की। एक उपयोगकर्ता ने ट्वीट किया, “अमेरिका की टैरिफ नीति से वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला प्रभावित होगी, जिसका असर भारत पर भी पड़ेगा।”
एक अन्य ने लिखा, “यह समय है कि भारत आत्मनिर्भरता की ओर कदम बढ़ाए और घरेलू उत्पादन को बढ़ावा दे।”
विश्लेषकों का मानना है कि चीन जवाबी कार्रवाई कर सकता है, जिससे द्विपक्षीय व्यापार तनाव और बढ़ेगा। इसके साथ ही, अन्य देश भी अपने-अपने आर्थिक हितों की रक्षा के लिए नए नियम बना सकते हैं, जिससे वैश्विक व्यापार युद्ध का खतरा पैदा हो सकता है।
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) और आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (OECD) ने चेतावनी दी है कि अमेरिका की इन टैरिफ नीतियों से वैश्विक आर्थिक विकास में मंदी आ सकती है। OECD के अनुसार, अमेरिका की आर्थिक वृद्धि 2025 में 2.2% और 2026 में 1.6% तक सिमट सकती है, जबकि वैश्विक विकास दर 3.1% से घटकर 3.0% हो सकती है। विश्व बैंक ने भी आगाह किया है कि यदि अमेरिका के व्यापारिक साझेदार प्रतिशोधी टैरिफ लगाते हैं, तो वैश्विक आर्थिक विकास दर में 0.3 प्रतिशत अंक की गिरावट आ सकती है
फिलहाल, दुनिया की नजरें इस बात पर टिकी हैं कि चीन और अन्य देश अमेरिका के इस कदम का कैसा जवाब देते हैं और क्या यह निर्णय वैश्विक अर्थव्यवस्था को एक नए संकट में धकेल देगा