ब्रिक्स विदेश मंत्रियों की बैठक: सहयोग और वैश्विक मुद्दों पर चर्चा

ब्रिक्स विदेश मंत्रियों की बैठक: सहयोग और वैश्विक मुद्दों पर चर्चा

देवेंद्र सिंह

 

ब्राज़ील के रियो डी जनेरियो में 28 और 29 अप्रैल को * ब्रिक्स विदेश मंत्रियों की बैठक* आयोजित की गई। यह बैठक ब्रिक्स देशों के बीच राजनीतिक और सुरक्षा सहयोग के लिए एक महत्वपूर्ण मंच है, जिसकी शुरुआत 2006 में हुई थी। ब्रिक्स विदेश मंत्रियों की बैठक ने वैश्विक बहुपक्षीय सहयोग, आर्थिक समावेशन और अंतरराष्ट्रीय शांति को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच प्रदान किया। यह बैठक ब्रिक्स के विस्तार के बाद पहली उच्च-स्तरीय बैठक थी, जिसमें नए सदस्य देशों की भागीदारी ने इसे और भी महत्वपूर्ण बना दिया।

 

अपने उद्घाटन वक्तव्य के दौरान, ब्राज़ील के विदेश मंत्री, राजदूत मौरो विएरा ने संवाद को बढ़ावा देने में समूह की अद्वितीय स्थिति पर प्रकाश डाला और राष्ट्रों की संप्रभु समानता पर जोर दिया। “एक समूह के रूप में, ब्रिक्स अपने प्रत्येक सदस्य के रणनीतिक हितों और वैध आर्थिक और सुरक्षा हितों को उनके संबंधित क्षेत्रों और दुनिया भर में मान्यता देता है। यह वैश्विक मुद्दों पर शक्ति के निष्पक्ष वितरण में हमारे योगदान का हिस्सा है, जो हमें शांति, विकास और स्थिरता तक पहुँचने में सक्षम बनाने के लिए आवश्यक है। हम संघर्ष के बजाय कूटनीति और एकतरफावाद के बजाय सहयोग का बचाव करते हैं” मंत्रियों से एक संयुक्त घोषणा को अंतिम रूप देने और उसका प्रचार करने की अपेक्षा की जाती है जो ब्रिक्स 2025 अंतिम घोषणा को सहायता प्रदान करेगी। जुलाई में रियो डी जेनेरियो में होने वाले लीडर्स समिट में समूह के राष्ट्राध्यक्षों और सरकार द्वारा इस दस्तावेज़ को मान्य किया जाएगा।

 

भारत की तरफ़ से सचिव (पूर्वी क्षेत्र) दामू रवि ने मंगलवार को रियो डी जेनेरियो में ब्रिक्स विदेश मंत्रियों की बैठक में विदेश मंत्री एस जयशंकर का प्रतिनिधित्व किया और वैश्विक दक्षिण की विकास आकांक्षाओं को ध्यान में रखते हुए समकालीन वास्तविकताओं को बेहतर ढंग से प्रतिबिंबित करने के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद सहित वैश्विक शासन संस्थानों में तत्काल सुधार की वकालत की। दम्मू रवि ने पहलगाम में हाल ही में हुए आतंकवादी हमले के बाद भारत के साथ एकजुटता व्यक्त करने के लिए ब्रिक्स देशों को धन्यवाद दिया। उन्होंने सीमा पार आतंकवाद, वित्तपोषण और सुरक्षित पनाहगाहों सहित सभी रूपों में आतंकवाद के खिलाफ प्रयासों को मजबूत करने के लिए ब्रिक्स के साथ मिलकर काम करने की भारत की प्रतिबद्धता की पुष्टि की। भारत ने BRICS के माध्यम से विकासशील देशों की आवाज़ को मजबूत करने पर जोर दिया। थिंक टैंक *ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन (ORF)* के अनुसार, भारत BRICS में एक संतुलनकारी भूमिका निभाता है, जो पश्चिम और अन्य उभरते देशों के बीच सेतु का काम करता है।

 

वहीं दूसरी ओर, चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने बैठक में बहुपक्षवाद को सशक्त करने, वैश्विक विकास के लिए नए खाके तैयार करने और उभरते बाजारों तथा विकासशील देशों के लिए एक समावेशी अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि ब्रिक्स को एक नए प्रकार के बहुपक्षीय सहयोग तंत्र में परिवर्तित करना चाहिए, जो वैश्विक रूप से उन्मुख और समावेशी हो।

 

ब्रिक्स देशों ने अमेरिकी डॉलर पर निर्भरता कम करने और स्थानीय मुद्राओं में व्यापार को बढ़ावा देने की दिशा में कदम उठाए हैं। रूस ने बताया कि 2024 में ब्रिक्स के साथ उसके 90% लेन-देन स्थानीय मुद्राओं में हुए। हालांकि, ब्राजील ने साझा मुद्रा की पहल से दूरी बनाए रखी है, लेकिन डॉलर पर निर्भरता कम करने के विकल्पों की तलाश जारी रखी है।

 

बैठक में गाज़ा और यूक्रेन में जारी संघर्षों के शांतिपूर्ण समाधान की आवश्यकता पर बल दिया गया। ब्रिक्स देशों ने इन संकटों के राजनीतिक समाधान के लिए कूटनीतिक प्रयासों का समर्थन किया और संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अनुसार अंतरराष्ट्रीय कानून के पालन की प्रतिबद्धता जताई।

 

बैठक में कृत्रिम बुद्धिमत्ता और डिजिटल प्रौद्योगिकियों में सहयोग को बढ़ावा देने के लिए चीन-ब्रिक्स एआई विकास और सहयोग केंद्र की स्थापना की घोषणा की गई। इसके अलावा, ऊर्जा और खाद्य सुरक्षा को राजनीतिकरण से बचाने और इन क्षेत्रों में अंतरराष्ट्रीय सहयोग बढ़ाने की आवश्यकता पर बल दिया गया।

 

इसके अलावा ब्रिक्स देशों ने सांस्कृतिक उत्सवों और खेल आयोजनों के माध्यम से लोगों के बीच संपर्क बढ़ाने की पहल का समर्थन किया। इससे सदस्य देशों की जनता के बीच आपसी समझ और सहयोग को बढ़ावा मिलेगा।

 

ब्रिक्स विदेश मंत्रियों की यह बैठक वैश्विक बहुपक्षवाद, आर्थिक समावेशन और अंतरराष्ट्रीय शांति को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम रही। विस्तारित ब्रिक्स समूह ने विकासशील देशों की आवाज़ को वैश्विक मंचों पर सशक्त करने और एक न्यायसंगत अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था की स्थापना की दिशा में अपनी प्रतिबद्धता दोहराई।

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