स्थानीय समयानुसार सोमवार को तड़के भारतीय सेना ने पाकिस्तान के खिलाफ सिंदूर नामक सैन्य कार्रवाई चलायी। भारतीय सेना से जारी ब्यान में कहा गया कि भारतीय सेना ने पाकिस्तान और पाक नियंत्रित कश्मीर में स्थित आतंकियों के नौ बुनियादी संस्थापनों पर हवाई हमले किये, जहां आतंकियों ने पहलगाम हमले का षड़यंत्र रचा और कार्रवाई की। उधर, पाकिस्तानी सेना ने बताया कि पाकिस्तान ने जमीन और आकाश से लड़ाकू काररवाई की और जवाबी काररवाई जारी रखी जाएगी। भारत और पाकिस्तान के बीच गंभीर मुठभेड़ से दक्षिण एशिया पर युद्ध के बादल मंडरा रहे हैं।
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने 7 मई को बताया कि चीन को भारत की सैन्य काररवाई पर खेद है और वर्तमान घटनाक्रम पर चिंता है। चीन दोनों देशों को शांति व स्थिरता को महत्व देकर संयम रखने और स्थिति को और जटिल बनाने वाली काररवाई से बचने की अपील करता है।
संयुक्त राष्ट्र महासचिव गुतरेस ने बताया कि वे पाकिस्तान पर भारत के प्रहार पर चिंतित हैं और दोनों देशों से संयम रखने की अपील की। उन्होंने कहा कि विश्व भारत और पाकिस्तान के सैन्य मुकाबले को झेल नहीं सकता है। वहीं, अमेरिकी राष्ट्रपति ने इस पर खेद व्यक्त कर उम्मीद जतायी कि सभी यथाशीघ्र ही समाप्त हो जाए।
इस दौर की भारत-पाकिस्तान मुठभेड़ का प्रत्यक्ष कारण 22 अप्रैल को भारत नियंत्रित कश्मीर में हुआ आतंकवादी हमला था, जिसमें 26 पर्यटकों की मौत हुई और दसियों घायल हुए। भारत का दावा है कि इसमें पाक नियंत्रित कश्मीर में लश्कर-ए-तैयबा का हाथ है, जबकि पाकिस्तान ने भारत से प्रमाण प्रस्तुत करने और अंतरराष्ट्रीय जांच करने की बात की। अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने निरंतर दोनों पक्षों से संयम रखने की अपील की पर दोनों देशों ने वास्तविक नियंत्रण रेखा पर निंरतर गोलीबारी की।
स्थानीय विश्लेषकों के विचार में इस दौर की भारत-पाक मुठभेड़ की जड़ कश्मीर सवाल है ही। वर्ष 1947 में ब्रिटेन ने दक्षिण एशिया के महाद्वीप में उपनिवेश शासन समाप्त किया और भारत व पाकिस्तान को अलग अलग तौर पर स्वतंत्रता मिली। लेकिन हटने से पहले ब्रिटेन ने कश्मीर क्षेत्र के भविष्य पर स्पष्ट इंतजाम नहीं किया, जो बाद में एक विस्फोटक बिंदु बन गयी। अक्तूबर 1947 से जनवरी 1949 और 1965 में भारत और पाकिस्तान ने कश्मीर के लिए दो बार युद्ध किया। वर्ष 1999 में दोनों देशों ने कारगिल क्षेत्र में फिर बड़ी सशस्त्र मुठभेड़ की।
इतिहास से साबित हुआ है कि कश्मीर सवाल एक अत्यंत जटिल, संवेदनशील और कई पक्षों से जुड़ा सवाल है। सैन्य उपाय या एकतरफा से इस का समाधान नहीं किया जा सकता। कश्मीर सवाल को युएन चार्टर, सुरक्षा परिषद के संबंधित प्रस्तावों और दोनों पक्षों की संधियों के मुताबिक शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाया जाना चाहिए। इस प्रक्रिया को दूरगामी दृष्टि, पर्याप्त धैर्य, बुद्धिमत्ता और समुचित माहौल की जरूरत है।
शांति और विकास भारत व पाक समेत विभिन्न देशों की जनता की आम अभिलाषा है और वर्तमान युग का मुख्य थीम भी है। भारत और पाकिस्तान दोनों विकासशील देश हैं। विकास पर फोकस रखना और जनजीवन सुधारना दोनों देशों की सर्वोच्च प्राथमिकता है। इधर कुछ साल भारत में सत्तारूद्ध पार्टी के नाते बीजेपी हमेशा विकास को अपने राजनीतिक एजेंडा को सबसे ऊपर रखती आयी है। प्रधानमंत्री मोदी विकास का प्रतीक है। भारत का तेज आर्थिक विकास बना रहा है और विश्व का पांचवां सबसे बड़ा आर्थिक समुदाय बन चुका है। भारत का एक केंद्रीय लक्ष्य है कि वर्ष 2047 तक एक विकसित देश के रूप में उभरना है।
उधर, पाकिस्तान के नये शासन ने पिछले साल सत्ता में आने के बाद सिलसिलेवार आर्थिक प्रोत्साहन कदम उठाये। इसके साथ उसने सक्रियता से अंतरराष्ट्रीय सहयोग चलाया, जिससे स्पष्ट परिणाम सामने आये। पाक सरकार की आशा है कि वर्ष 2028 में 6 प्रतिशत वृद्धि साकार होगी और हर साल 10 लाख नये रोजगार पैदा होंगे। इन सब सुनहरे विजन को पूरा करने के लिए शांति व स्थिर वातावरण की जरूरत है। भारत और पाकिस्तान अलग नहीं होने वाले पड़ोसी हैं। बड़े पैमाने वाले युद्ध से दोनों देशों के विकास की प्रक्रिया ठप्प होगी और अनगिनत नुकसान पैदा होगा, जो दोनों देशों के मूल हितों के विपरीत है।
लोकमत के विचार में वर्तमान बड़े तनाव के सामने भारत और पाकिस्तान को फौरन ही लड़ाई बंद करना और स्थिति के और बिगडने से बचना चाहिए ताकि अनियंत्रित स्थिति पैदा न हो। दक्षिण एशिया की शांति विभिन्न पक्षों के हित में है। CRI