विश्व युद्ध II की विजय की 80वीं वर्षगांठ पर विशेष: विश्व शांति और विकास में चीन की भूमिका

विश्व युद्ध II की विजय की 80वीं वर्षगांठ पर विशेष: विश्व शांति और विकास में चीन की भूमिका

देवेंद्र सिंह

वर्ष 2025 में हम द्वितीय विश्व युद्ध में विजय की 80वीं वर्षगांठ मना रहे हैं। यह अवसर न केवल इतिहास की याद दिलाता है, बल्कि हमें यह सोचने के लिए भी प्रेरित करता है कि आज की दुनिया में शांति और स्थिरता को कैसे बनाए रखा जाए। वर्तमान में वैश्विक परिदृश्य में अस्थिरता, संघर्ष और भू-राजनीतिक तनावों में वृद्धि देखी जा रही है। ऐसे में विश्व शांति और सतत विकास के लिए सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता पहले से कहीं अधिक महसूस की जा रही है।

 

आज, 80 साल बाद भी, दुनिया अशांति, संघर्ष और अनिश्चितता का सामना कर रही है। ऐसे में, विश्व शांति और सतत विकास को बढ़ावा देना सभी देशों की साझा जिम्मेदारी है।

 

इस दिशा में चीन की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण रही है। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान चीन ने न केवल फासीवाद के विरुद्ध लंबा संघर्ष किया, बल्कि लाखों लोगों की जान गंवाकर विश्व शांति के लिए एक अमूल्य योगदान दिया। 80 वर्ष बाद भी, चीन उसी प्रतिबद्धता के साथ वैश्विक शांति और विकास में अपनी भूमिका निभा रहा है। चीन हमेशा से विश्व शांति और विकास का समर्थक रहा है। चीन की विदेश नीति का मूल सिद्धांत “शांतिपूर्ण सहअस्तित्व” है। चीन न केवल अपने विकास पर ध्यान देता है, बल्कि वैश्विक सुरक्षा और समृद्धि के लिए भी महत्वपूर्ण योगदान देता है। इस दिशा में चीन की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण रही है। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान चीन ने न केवल फासीवाद के विरुद्ध लंबा संघर्ष किया, बल्कि लाखों लोगों की जान गंवाकर विश्व शांति के लिए एक अमूल्य योगदान दिया।

 

 

 

चीन संयुक्त राष्ट्र के शांति अभियानों में सबसे बड़ा योगदान देने वाले देशों में से एक है। चीनी शांति सैनिकों ने अफ्रीका, मध्य पूर्व और अन्य संघर्ष प्रभावित क्षेत्रों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जहाँ उन्होंने नागरिकों की सुरक्षा, चिकित्सा सहायता और बुनियादी ढाँचे के पुनर्निर्माण में मदद की है। बात की जाए आर्थिक विकास और सहयोग की तो चीन की “बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव” (BRI) दुनिया के 140 से अधिक देशों को आपस में जोड़कर आर्थिक विकास और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा दे रही है। इस पहल के तहत, चीन ने विकासशील देशों में बुनियादी ढाँचा, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं में निवेश किया है, जिससे लाखों लोगों के जीवन स्तर में सुधार हुआ है।

 

जलवायु परिवर्तन और विकास साथ-साथ कैसे चलें यह कोई चीन से सीखे, चीन ने कार्बन उत्सर्जन को कम करने और हरित ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए बड़े कदम उठाए हैं। चीन दुनिया का सबसे बड़ा सौर और पवन ऊर्जा उत्पादक देश है और उसने 2060 तक “कार्बन न्यूट्रैलिटी” का लक्ष्य रखा है। यह प्रयास वैश्विक पर्यावरण संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।

 

इसके अतिरिक्त, चीन “ग्लोबल सिक्योरिटी इनिशिएटिव” (Global Security Initiative) जैसे प्रस्तावों के माध्यम से बहुपक्षीय वार्ता, आपसी सम्मान और समावेशी विकास को बढ़ावा देने की नीति पर कार्य कर रहा है।

 

 

 

चीन हमेशा राजनयिक वार्ता और संवाद के माध्यम से अंतर्राष्ट्रीय विवादों को सुलझाने की वकालत करता है। चीन ने कोरियाई प्रायद्वीप, मध्य पूर्व और अन्य क्षेत्रों में शांति वार्ता को सक्रिय रूप से समर्थन दिया है।

 

चीन ने रूस-यूक्रेन युद्ध को तुरंत समाप्त करने की भी अपील की है और हाल ही में भारत पाकिस्तान के बीच जो तनाव पैदा हुआ है उसे लेकर भी चिंता जताई है और दोनों देशों से आग्रह किया है कि दोनों देश मिलकर इस युद्ध को समाप्त करें।

 

यह दर्शाता है कि चीन हमेशा से युद्ध के ख़िलाफ़ रहा है।

 

द्वितीय विश्व युद्ध की विभीषिका ने हमें यह सबक दिया कि शांति और सहयोग ही विकास का आधार हैं। आज की अशांत दुनिया में, चीन न केवल अपने लोगों के लिए बेहतर जीवन सुनिश्चित कर रहा है, बल्कि वैश्विक शांति और समृद्धि के लिए भी प्रयासरत है। चीन का यह दृष्टिकोण साबित करता है कि सहयोग और साझा विकास के बिना कोई भी देश अकेले समृद्ध नहीं हो सकता। विश्व शांति के लिए चीन के प्रयास सराहनीय हैं और भविष्य में भी उसकी भूमिका महत्वपूर्ण होगी।

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