हाल ही में अमेरिका ने कई देशों पर आयात शुल्क (टैरिफ) में वृद्धि की है, जिसका वैश्विक अर्थव्यवस्था पर गहरा प्रभाव पड़ने की आशंका है। यह कदम विशेष रूप से चीन से आयातित सामानों पर लगाया गया है, जिसमें इलेक्ट्रिक वाहनों, सोलर पैनल्स, स्टील और एल्युमिनियम जैसे उत्पाद शामिल हैं। अमेरिकी सरकार का तर्क है कि यह कदम घरेलू उद्योगों को सुरक्षा प्रदान करने और चीन द्वारा की जा रही “अनुचित व्यापार प्रथाओं” को रोकने के लिए उठाया गया है।
इस विषय पर चाइना मीडिया ग्रुप से बात करते हुए डॉ. धनंजय त्रिपाठी, जो दक्षिण एशियाई विश्वविद्यालय, नई दिल्ली के अंतर्राष्ट्रीय संबंध विभाग, अंतर्राष्ट्रीय अध्ययन संकाय, में एसोसिएट प्रोफेसर (एसजी) के तौर पर कार्यरत हैं बताते हैं कि “देखिए, ट्रम्प प्रशासन में कई लोग हैं जो चीन विरोधी हैं और उनका दावा है कि वे अमेरिका के भीतर घरेलू उद्योगों को बढ़ावा देना चाहते हैं लेकिन, दुनिया में वैश्वीकरण का यह दौर भी अमेरिका ने ही पूरी दुनिया पर वैश्वीकरण करके लाया है। दुनिया की अर्थव्यवस्था को बढ़ाया था, और आज दुनिया की आर्थिक व्यवस्था खतरे में है और अब आप बड़े स्तर पर उसके साथ खिलवाड़ करने की कोशिश कर रहे हैं, तो मुझे यह समझने में दिक्कत हो रही है कि इससे व्यापार की लागत में बहुत बड़ी वृद्धि होगी, लेकिन इसके कारण वैश्विक पूंजी बहुत महंगी हो जाएगी, और चीन के साथ भी यही है। वे नकदी की होड़ शुरू करना चाहते हैं, और चीन के साथ प्रतिद्वंद्विता पैदा करना चाहते हैं।”
हाल ही में चीन और अमेरिका के बीच हुए समझौते में कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा हुई और सहमति बनी इसके बारे में बात करते हुए डॉ धनंजय कहते हैं कि “मुझे लगता है कि यह कहना थोड़ा जल्दबाजी होगी कि इससे टैरिफ का मुद्दा खत्म हो जाएगा, कुछ प्रतिबंध लगाए गए हैं लेकिन टैरिफ पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है। तो मुझे लगता है कि यह अमेरिकी सरकार की नीति भी हो सकती है कि आप टैरिफ लगाओ, फिर बातचीत करो, फिर खत्म करो। आप इसे बीच के बिंदु पर ले आए, लेकिन मुझे नहीं लगता कि जिस तरह से ट्रंप व्यवहार कर रहे हैं, और जिस तरह से वे बात कर रहे थे, अमेरिका की यह समस्या, मुझे नहीं लगता कि टैरिफ युद्ध का कोई समाधान मिलने वाला है या यह इतनी जल्दी खत्म होने वाला है।”
आने वाले समय में भारत जैसे विकासशील देशों के ऊपर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा? इसके जवाब में वह कहते हैं कि “इसका असर भारत और सभी विकासशील देशों पर पड़ेगा, क्योंकि यहाँ अर्थव्यवस्था का जो ट्रेंड है, वो अभी उतना विकसित नहीं हुआ है। हमारी अर्थव्यवस्था, जो हम आयात करते हैं, जो हम इकट्ठा करते हैं और जो हम निर्यात करते हैं, उसके ऊपर हम बहुत सारी आर्थिक गतिविधियाँ भी करते हैं, और अगर टैरिफ बढ़ेंगे, तो हमारे निर्यात महंगे हो जाएँगे, निर्यात कम हो जाएगा, हमारे मुनाफ़ा कमाने वाले उद्योग पर इसका असर पड़ेगा, रोज़गार के अवसरों पर इसका असर पड़ेगा, हमारे निर्यात लाइसेंस पर इसका असर पड़ेगा, इसका बहुत बड़ा असर पड़ेगा, और मेरे ख़याल से इसके लिए विकासशील देशों को एकजुट होना ज़रूरी है, और इस बात को WTO में ले जाना ज़रूरी है।”
क्या आप इस बात पर प्रकाश डालना चाहेंगे कि इस टैरिफ वृद्धि का दुनिया पर क्या प्रभाव पड़ेगा और इसका विश्व पर क्या प्रभाव पड़ेगा? इसके समाधान क्या हो सकते हैं? इस सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि “उसमें बहुत चर्चा हुई, WTO में विश्वास रखने वाले देशों ने उस पर हस्ताक्षर किए और इस बात पर सहमति जताई कि हमें टैरिफ कम करना होगा, उसमें कुछ चीजें हैं जो सभी विकासशील देशों को ध्यान में रखनी चाहिए या कुछ चीजें हैं जो आप अपने देश की अर्थव्यवस्था के लिए लाभदायक मानते हैं। उदाहरण के लिए, आप धीरे-धीरे टैरिफ कम कर सकते हैं, तो पूरी दुनिया के पास टैरिफ से निपटने के लिए एक व्यवस्था है, मेरी राय में, हमें उस व्यवस्था को मजबूत करने की जरूरत है, उसमें विकासशील देशों के जो भी अनुभव हैं, या उनकी जो भी समस्याएं हैं, हमें उन तक पहुंचने की जरूरत है, एक देश या दो देश अगर पूरी दुनिया के टैरिफ से अपने तरीके से निपटना चाहते हैं, तो मेरी राय में, हम इसे इस तरह से नहीं कर सकते। ऐसी कोई संभावना नहीं है।”
बहरहाल, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने 2025 के लिए वैश्विक आर्थिक विकास दर को 2.8% तक घटा दिया है, जो पहले की तुलना में 0.5% कम है। इसकी मुख्य वजह अमेरिका द्वारा लगाए गए नए टैरिफ़ हैं, जिनसे वैश्विक व्यापार में गिरावट आई है। विश्व व्यापार संगठन (WTO) ने भी 2025 में वैश्विक व्यापार में 0.2% की गिरावट की भविष्यवाणी की है, जबकि पहले 2.7% की वृद्धि की उम्मीद थी।
इसके साथ ही सोशल मीडिया पर इस मुद्दे को लेकर काफी चर्चा हो रही है। कुछ लोग अमेरिका के कदम का समर्थन करते हुए कह रहे हैं कि चीन को “अनुचित व्यापार नीतियों” के लिए सबक मिलना चाहिए। वहीं, कुछ यूजर्स का मानना है कि इससे वैश्विक बाजार में उथल-पुथल मचेगी और भारत जैसे विकासशील देशों को नुकसान होगा।
*ट्विटर पर कुछ प्रमुख राय:*
– “अमेरिका ने सही कदम उठाया है, चीन को अब आत्मनिर्भर बनने की जरूरत है न कि दूसरे देशों के बाजारों पर कब्जा करने की।” – @IndianEconomist
– “टैरिफ वृद्धि से भारत के निर्यात पर भी असर पड़ेगा, सरकार को इसके लिए तैयार रहना चाहिए।” – @TradeExpert
– “यह व्यापार युद्ध की शुरुआत हो सकती है, जिसका असर पूरी दुनिया पर पड़ेगा।” – @GlobalFinanceGuru
अमेरिका की टैरिफ नीति न केवल चीन बल्कि पूरी वैश्विक अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर सकती है। भारत को भी इससे उत्पन्न चुनौतियों के लिए तैयार रहना होगा। सोशल मीडिया पर इस मुद्दे पर विविध राय सामने आई हैं, जो दर्शाती हैं कि यह निर्णय कितना महत्वपूर्ण और विवादास्पद है। CRI