अनिल पांडेय
चीन जनसंख्या और क्षेत्रफल के लिहाज से एक बड़ा देश है। ऐसे में चीन की ऊर्जा जरूरतें भी कम नहीं हैं। देश विभिन्न ऊर्जा माध्यमों से ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करता है। इसके साथ ही ऊर्जा सुरक्षा को सुनिश्चित करने पर भी चीन का ध्यान बना हुआ है। हाल के समय में जिस तरह से व्यापारिक तनाव बढ़ा है, उसे देखते हुए ऊर्जा आत्मनिर्भरता और सुरक्षा एक अहम मुद्दा बन गया है। बता दें कि चीन कई देशों को ऊर्जा संसाधन मुहैया कराता है। ऐसे में चीन को न केवल अपने लिए ऊर्जा खपत की व्यवस्था करनी होती है, बल्कि अन्य देशों के लिए भी।
जैसा कि हम जानते हैं कि चीन ने पिछले कुछ वर्षों में नवीन ऊर्जा स्रोतों का इस्तेमाल काफी किया है। इसके लिए चीन ने संबंधित उद्योगों में निवेश बढ़ाया है। इसका नतीजा यह हुआ है कि चीन में स्वच्छ ऊर्जा चालित वाहनों का इस्तेमाल बहुत बढ़ गया है। चीन विश्व का सबसे बड़ा इलेक्ट्रिक कार बाज़ार भी बन चुका है।
जानकार कहते हैं कि चीन ने तकनीकी नवाचार को बढ़ावा दिया है और अपने ऊर्जा स्रोतों में विविधता लाने का प्रयास किया है। साथ ही महत्वपूर्ण आपूर्ति श्रृंखलाओं को स्थानीय बनाने पर ध्यान केंद्रित किया है। बताया जाता है कि चीन सरकार ने इस दिशा में व्यापक रूप से पहल की है। जिसके तहत सौर और पवन ऊर्जा जैसी नवीकरणीय ऊर्जा तकनीकों में निवेश बढ़ाया जा रहा है। जबकि इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए बुनियादी ढांचे को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। जिसमें देश भर में बड़ी संख्या में चार्जिंग स्टेशनों का निर्माण शामिल है। इससे जाहिर होता है कि चीन ऊर्जा के क्षेत्र में पूरी तरह आत्मनिर्भर बनना चाहता है।
विशेषज्ञ कहते हैं कि हाल के वर्षों में हरित नवाचार में चीन के निवेश ने उसे कम लागत वाले विनिर्माण से उच्च मूल्य वाले उद्योगों में स्थानांतरित करने में मदद की है। जिससे पारंपरिक निर्यात पर निर्भरता कम हुई है।
कहा जा रहा है कि भू-राजनीतिक अनिश्चितताओं के बने रहने के कारण, हरित नवाचार और ऊर्जा आत्मनिर्भरता पर जोर देने से चीन की अर्थव्यवस्था बाहरी दबावों और झटकों से बचने में कामयाब हो सकती है। इसके अलावा, भविष्य में चीन वैश्विक ऊर्जा के क्षेत्र में एक प्रमुख शक्ति के रूप में उभर सकता है।
जानकार यह भी मानते हैं कि जिस तरह अमेरिका जैसे देश व्यापार युद्ध छेड़ते हैं। उसे देखते हुए चीन का इस क्षेत्र में मजबूती से आगे बढ़ना जरूरी है। क्योंकि टैरिफ वार आदि का उद्देश्य चीन की प्रमुख तकनीकों और बाज़ारों तक पहुंच को बाधित करना होता है। ऐसे में सौर पैनल, पवन टर्बाइन और बैटरी जैसे हरित ऊर्जा घटकों में आत्म निर्भरता के लिए चीन में गंभीरता से प्रयास हो रहे हैं। ऐसे में पश्चिमी देशों का विभिन्न क्षेत्रों में एकाधिकार कम हुआ है।
हाल में एक अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि नवीन ऊर्जा के क्षेत्र में एक प्रमुख शक्ति के रूप में चीन के पास दूसरे देशों की तुलना में कई लाभ हैं। जिसमें ट्रांसमिशन ग्रिड और नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं को अधिक कुशलता से स्वीकृत करने और बनाने की क्षमता शामिल है।
चीन लगातार इस संदर्भ में काम कर रहा है, और उसने ऊर्जा सुरक्षा को बढ़ाने के अलावा अपनी पारंपरिक ऊर्जा आपूर्ति को मजबूत करने और नवीकरणीय ऊर्जा के विकास में तेजी लाने के लिए लंबे समय से वैज्ञानिक व तकनीकी अनुसंधान को प्राथमिकता दी है।
इससे पता चलता है कि चीन ऊर्जा सुरक्षा पर ध्यान देने के साथ-साथ पूरी तरह आत्मनिर्भर बनने के लिए पूरी कोशिश कर रहा है। चीन ने जिस तरह से अन्य क्षेत्रों में दुनिया को आश्चर्य में डाला है, ऊर्जा के क्षेत्र में भी वह ऐसा करने में सक्षम है।